कंपनियों द्वारा काम के बदले भुगतान के आधार पर रखे गए कर्मचारियों को गिग वर्कर (Gig Worker) कहा जाता है। ये मोबाइल ऐप आधारित श्रमिक होते हैं। इन कर्मचारियों को कंपनी के स्थायी कर्मचारियों की तरह वेतन-भत्ते आदि का लाभ नहीं मिलता है। गिग वर्कर्स के लिए काम के कोई समय तय नहीं होता है। कंपनी और गिग वर्कर के बीच मुख्य रूप मोबाईल ऐप के द्वारा भारत में ऑनलाइन कारोबार बढ़ने के बाद गिग वर्कर्स की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। एक अनुमान के अनुसार देश में इस समय 10 से 12 करोड़ गिग वर्कर हैं। भारत में अधिकांश गिग वर्कर ऑनलाइन फूड प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स कंपनी और सामान की डिलीवरी जैसे कार्यों से जुड़े हैं। बड़ी संख्या में गिग वर्कर ड्राइविंग जैसे पेशे से भी जुड़े हैं। ऑनलाइन सामान बेचने वाली कंपनियों के लिए गिग वर्कर्स का रोल काफी महत्वपूर्ण है।

कांग्रेस शासित राजस्थान ने गिग वर्कर्स वेल्फेयर बोर्ड बनाया
'भारत जोड़ों यात्रा' के दौरान राहुल गांधी गिग वर्कर्स से मिले थे। कर्मचारियों ने अपनी मांगों और समस्याओं से राहुल गांधी को अवगत कराया था। इसके बाद फरवरी 2023 में कांग्रेस शासित राजस्थान सरकार ने सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के लिए 'गिग वर्कर्स वेलफेयर एक्ट' घोषणा की और ओला, उबर, स्विगी, ज़ोमैटो, अमेज़न आदि कंपनियों के लिए काम करने वाले अस्थायी कर्मी जिन्हें ‘गिग वर्कर्स’ कहा जाता है, के लिए 200 करोड़ रुपये के कल्याण कोष को स्थापित किया।

केकेसी की मांग है कि राजस्थान सरकार की तरह ही केंद्र सरकार द्वारा 'नेशनल गिग वर्कर्स बोर्ड' की अविलंब स्थापना हो।