घरेलू श्रमिकों के हो रहे शोषण को देखते हुए घरेलू कार्य को भी श्रम कानूनों के दायरे में लाना होगा। 1931 की जनगणना में देश की 27 लाख आबादी को ‘घरेलू कामगार’ के रूप में चिह्नित किया गया था। वहीं 1971 में हुई जनगणना में यह संख्या घटकर महज 67,000 रह गई। 2001 में जहाँ देश में महिला घरेलू कामगारों की संख्या 1.47 करोड़ थी, वहीं 2011 में यह संख्या बढ़कर 2.5 करोड़ हो गई।

घरेलू कामगार कल्याण आयोग का गठन हो
घरेलू कामगारों के लिए ऐक्ट बनाया जाए और इसके अंतर्गत घरेलू कामगार कल्याण आयोग का गठन हो। इन्हें राज्य के श्रम विभाग के पास कामगार के रूप में अपना पंजीकरण कराने, इन्हें अपना संघ, एसोसिएशन या संगठन बनाने, न्यूनतम मज़दूर, सामाजिक सुरक्षा जैसे प्रावधान कराने का प्रयास केकेसी द्वारा किया जा रहा है।